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➨ प्रसिद्ध हिन्दी कहावतें तथा लोकोक्तियाँ


 प्रसिद्ध हिन्दी कहावतें तथा लोकोक्तियाँ

1. मानो तो देवनहीं तो पत्थर – विश्वास ही फलदायक
2. 
आम का आम गुठली का दाम – सब तरह से लाभ-ही-लाभ
3. 
घर की मुर्गी दाल बराबर – घर की वस्तु का कोई आदर नहीं करना
4. 
बिल्ली के भाग्य से छींका ​(सिकहरटूटा – संयोग अच्छा लग गय
5. 
ऊँचे चढ़ के देखातो घर-घर एकै लेखा – सभी एक समान
6. 
रोजा बख्शाने गयेनमाज लगे पड़ी – लाभ के बदले हानि
7. 
मुँह में रामबगल में छुरी – कपटी
8. 
इस हाथ देउस हाथ ले – कर्मों का फल शीघ्र पाना
9. 
मोहरों की लूटकोयले पर छाप – मूल्यवान वस्तुओं को छोड़कर तुच्छ वस्तुओं पर ध्यान देना
10. 
गुड़ खाय गुलगुले से परहेज – बनावटी परहेज
11. 
नाम बड़ेपर दर्शन थोड़े – गुण से अधिक बड़ाई
12. 
लश्कर में ऊँट बदनाम – दोष किसी काबदनामी किसी की
13. 
उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे – अपराधी ही पकड़नेवाली को डाँट बताये
14. 
दुधारु गाय की दो लात भी भली – जिससे लाभ होता होउसकी बातें भी सह लेनी चाहिए
15. 
बैल का बैल गया नौ हाथ का पगहा भी गया – बहुत बड़ा घाटा
16. 
ऊँट के मुँह में जीरा – मरूरत से बहुत कम
17. 
 रहेगा बाँस बजेगी बाँसुरी – झगड़े के कारण को नष्ट करना
18. 
भैंस के आगे बीन बजावेभैंस रही पगुराय – मूर्ख को गुण सिखाना व्यर्थ है
19. 
खेत खाये गदहामार खाये जोलहा – अपराध करे कोईदण्ड मिले किसी और को
20. 
बेकार से बेगार भली – चुपचाप बैठे रहने की अपेक्षा कुछ काम करना
21. 
खरी मजूरी चोखा काम – अच्छे मुआवजे में ही अच्छा फल प्राप्त होना
22. 
नौ की लकड़ी नब्बे खर्च – काम साधारणखर्च अधिक
23. 
बड़े मियाँ तो बड़े मियाँछोटे​ मिया सुभान अल्लाह – बड़ा तो जैसा हैछोटा उससे बढ़कर है
24. 
एक पंथ दो काज – एक नहींदो लाभ
25. 
दूध का जला मट्ठा भी फूँक-फूँक कर पीता है – एक बार धोखा खा जाने पर सावधान हो जाना
26. 
बोये पेड़े बबूल के आम कहाँ से होय – जैसी करनीवैसी भरनी
27. 
एक तो चोरी दूसरे सीनाजोरी – दोष करके  मानना
28. 
नीम हकीम खतरे जान – अयोग्य से हानि
29. 
भइ गति साँप-छछूँदर केरी – दुविधा में पड़ना
30. 
कबीरदास की उलटी बानीबरसे कंबल भींगे पानी – प्रकृतिविरुद्ध काम
31. 
नाचे कूदे तोड़े तानताको दुनिया राखे मान – आडम्बर दिखानेवाला मान पाता है
32. 
तीन कनौजियातेरह चूल्हा – जितने आदमी उतने विचार
33. 
पानी पीकर जात पूछना – कोई काम कर चुकने के बाद उसके औचित्य पर विचार करना
34. 
खोदा पहाड़ निकली चुहिया – कठिन परिश्रमथोड़ा लाभ
35. 
पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं – पराधीनता में सुख नहीं
36. 
घड़ी में घर जलेनौ घड़ी भद्रा – हानि के समय सुअवसर-कुअवसर पर ध्यान  देना
37. 
कहीं का ईंट कहीं का रोड़ाभानुमति ने कुनबा जोड़ा – इधर-उधर से सामान जुटाकर काम करना
38. 
पराये धन पर लक्ष्मीनारायण – दूसरे का धन पाकर अधिकार जमाना
39. 
थूक कर चाटना ठीक नहीं – देकर लेना ठीक नहींबचन-भंग करनाअनुचित
40. 
गाछे कटहलओठे तेल – काम होने के पहले ही फल पाने की इच्छा
41. 
गोद में छोरा नगर में ढिंढोरा – पास की वस्तु का दूर जाकर ढूँढ़ना
42. 
गरजे सो बरसे नहीं – बकवादी कुछ नहीं करता
43. 
घर का फूस नहींनाम धनपत – गुण कुछ नहींपर गुणी कहलाना
44. 
घर की भेदी लंका ढाए – आपस की फूट से हानि होती हे
45. 
घी का लड्डू टेढ़ा भला – लाभदायक वस्तु किसी तरह की क्यों  हो
46. 
चोर की दाढ़ी में तिनका – जो दोषी होता है वह खुद डरता रहता है
47. 
पंच परमेश्वर – पाँच पंचों की राय
48. 
तीन लोक से मथुरा न्यारी – निराला ढंग
49. 
तुम डाल-डाल तो हम पात-पात – किसी की चाल को खूब समझते हुए चलना
50. 
धोबी का कुत्ता  घर का  घाट का – निकम्माव्यर्थ इधर-उधर डोलनेवाला

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