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➨ लोक सेवा आयोग के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य


लोक सेवा आयोग के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य
Important Information About Public Service Commission

चीन ने सर्वप्रथम प्रतियोगी परीक्षाएँ करवायी। 1853 के Act. में इंग्लैंण्ड में प्रतियोगी परीक्षा का प्रावधान था।

1919 के Act.में केन्द्र से राज्यों के लिए अलग-अलग आयोगों का प्रावधान था। 1926 में सर रो बार्कर की अध्यक्षता में लोक सेवा आयोग गठन हुआ। 1935 के Act. में केन्द्र एवं राज्यों के लिए अलग-अलग आयोगों का प्रावधान था।
संविधान में 3 प्रकार के आयोग हैं (अनु0 315)-
1.     संघ लोक सेवा आयोग
2.     राज्य लोक सेवा आयोग
3.     संयुक्त लोक सेवा आयोग

सेवाएँ:-
संघ और राज्य के अधीन सेवाओं में अनु0 308 से लेकर 323 तक है।भारत में मुख्यतः तीन प्रकार की लोक सेवाएँ पायी जाती हैं.

अखिल भारतीय सेवाएँ:-
इस सेवा के सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति जी करते हैं और कार्यकाल से पूर्व बर्खास्त भी राष्ट्रपति जी करते हैं राज्य अन्य शर्तों का निर्धारण उस कैडर का राज्यपाल करता है। इसके अन्तर्गत IAS, IPS, IFS आदि आते हैं। अनु0 312 के अनुसार नयी अखिल भारतीय सेवा के सृजन का प्रस्ताव सर्वप्रथम राज्यसभा में विशेष बहुमत से पास होता है। पुनः उस पर संसद विधि बनाकर अखिल भारतीय सेवा का गठन करती है।

केन्द्रीय सेवा:-
इसकी सेवा शर्तों का निर्धारण समय-समय पर संसद करती है या विभाग करता है। इनके कर्मचारियों की नियुक्ति केन्द्रीय संस्थाओं में होती है। जैसे-केन्द्रीय आबकारी सेवा रेलवे सेवा।

राज्य सेवा:-
इनके अधिकारी की नियुक्ति लोक सेवा आयोग के परामर्श पर राज्यपाल करते हैं। इसके अन्तर्गत PCS, PPS, PDS, PES आदि आते हैं। जो राज्यपाल के प्रसाद पर्यन्त पद धारण करते हैं |भारतीय संविधान में संघ और राज्यों के अधीन सेवाओं का व्यापक प्रावधान है।

·        यह प्रावधान भाग 14 में अनुच्छेद 308 से 323 तक है।

·        अनुच्छेद 308 के अनुसार यह भाग जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होगा।

·        अनुच्छेद 309:-संघ के लिए संसद और राज्य के लिए राज्यविधानमण्डल भर्ती सेवा शर्त संबंधी नियम बनाएगा। ऐसा नियम जब तक बने तब तक इसका निर्धारण क्रमशः राष्ट्रपति जी और राज्यपाल जी करेंगे।

·        अनुच्छेद 310:-रक्षा सेवा के सदस्य और संघ सेवा के सदस्य राष्ट्रपति जी के प्रसाद पर्यन्त कार्य करेंगे जबकि राज्य सेवा के सदस्य राज्यपाल जी के प्रसाद पर्यन्त कार्य करेंगे।

·        अनुच्छेद 311:-इस अनुच्छेद में सिविल सेवकों को संवैधानिक संरक्षण दिया गया है अर्थात इनकी पदच्युति, पदावनति इसके अधीनस्थ द्वारा नहीं होगी।

·        अनुच्छेद 312:-नयी अखिल भारतीय सेवाओं के सृजन आता है और राज्यसभा जब इसे विशेष बहुमत से पास कर देती है तो इस पर कानून बनाने का अधिकार संसद को मिल जाता है।

·        अनुच्छेद 313:-संक्रमणकाल में (15 अगस्त 1947-26 जनवरी 1950 तक) संविधान लागू होने के पूर्व के प्रावधान लागू होंगे।

·        अनुच्छेद 314:-ICS अधिकारियों को विशेष संरक्षण (28/1972 द्वारा समाप्त)

·        अनुच्छेद 315(1) के अनुसार:-संघ के लिए संघ लोक सेवा आयोग और राज्य के लिए राज्य लोक सेवा आयोग होगा।अनुच्छेद(2) के अनुसार:-2 या 2 से अधिक राज्यों के लिए संयुक्त लोक सेवा आयोग राज्यों के करार पर होगा।

·        अनुच्छेद 316(1) के अनुसार:-संघ लोक सेवा आयोग और संयुक्त लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति जी करेंगे तथा राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल जी करेंगे। आयोग के 507 सदस्य प्रशासनिक क्षेत्र से होंगे जिनका प्रशासन में 10 वर्ष का अनुभव हो।

·        अनुच्छेद 316(2) के अनुसार:-संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष होगा (जो पहले आये) इसके पूर्व ये अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति जी को दे सकते हैं। राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष या 62 वर्ष होगा (जो पहले आये) इसके पूर्व ये अपना त्यागपत्र राज्यपाल जी को दे सकते हैं।

·        अनुच्छेद 317(1):-सभी लोक सेवा आयोग के अध्यक्षों एवं सदस्यों को कार्यकाल से पूर्व की जाँच

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