Type Here to Get Search Results !

जानिये हर भारतीय के ऊपर कितना कर्ज है?


जानिये हर भारतीय के ऊपर कितना कर्ज है?

क्या आप जानते है कि भारत के ऊपरकितना कर्ज है चाहे विदेशी कर्ज की बात हो या विश्व बैंक का कर्ज। जैसा कि हम जानते है कि भारत एक विकासशील देश है और इसे अपनी विकास परियोजनाओं को पूरा करने के लिए दूसरे देशों या विश्व बैंक से पैसे उधार लेता है जो कि भारत के प्रत्येक नागरिक के ऊपर उधार होता है। जबकि पहले भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था और पूरा विश्व इसके साथ व्यापार करने को उत्सुक रहता था। आज भारत के ऊपर मार्च 2016 के अंत में 485.6 बिलियन अमरीकी डॉलर का विदेशी कर्ज था जो कि मार्च 2015 के 475 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में 2.2% या 10.6 बिलियन अमरीकी डॉलर बढ़ गया।

भारत पर कर्ज का लगभग 37 प्रतिशत हिस्सा वाणिज्यिक कर्ज के रूप में है। इसके अलावा लगभग 18 प्रतिशत अल्पावधि कर्ज, 12 प्रतिशत बहुपक्षीय कर्ज, 3 प्रतिशत निर्यात कर्ज और बाकी कर्ज IMF से लिया गया है। इसी कर्ज को अगर अगर भारतीय मूल्यों के अनुसार भारत की जनसंख्या से विभाजित किया जाए तो फिर हर भारतीय के ऊपर लगभग 25251 रुपये का कर्ज आता है।

जानिये देश के हर नागरिक के ऊपर कितना विदेशी कर्ज है–

आंध्र प्रदेश में हर व्यक्ति के ऊपर 53050 रुपये का कर्ज है।
केरल में हर व्यक्ति के ऊपर 48221 रुपये का कर्ज है।
गुजरात में हर व्यक्ति के ऊपर 37924 रुपये का कर्ज है।
महाराष्ट्र में हर व्यक्ति के ऊपर 33726 रुपये का कर्ज है।
पश्चिम बंगाल में हर व्यक्ति के ऊपर 33717 रुपये का कर्ज है।
तमिलनाडु में हर व्यक्ति के ऊपर 32576 का कर्ज है।
कर्नाटक में हर व्यक्ति के ऊपर 29435 रुपये का कर्ज है।
उत्तर प्रदेश में हर व्यक्ति के ऊपर 16408 रुपये का कर्ज है।

भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है। हाल ही में जारी हुई जीडीपी की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था 7.2 प्रतिशत की तेजी के साथ आगे बढ़ रही है। इस लिहाज से भारत ने चीन को पीछे छोड़ते हुए नया मुकाम हासिल किया है। वृद्धि को लेकर विकास खर्च बढ़ाने से 2014-15 में प्रति व्यक्ति कर्ज का बोझ 2,966 रुपये बढ़कर 44,095 रुपये पर पहुंच गया जो एक 2013-14 में 41,129 रुपये था। सरकार के अस्थायी लेखा के अनुसार ऋण के बोझ में देशी और विदेशी ऋण के अलावा अन्य देनदारियां शामिल हैं।

देशों की सरकारों पर ऋण-भार संबंधी विश्व बैंक की इस वर्ष की रपट के अनुसार कुल 20 प्रमुख विकासशील देशों की सूची में भारत चौथे पायदान पर है। भारत सरकार के खाते में घरेलू ऋणों के ब्याज भुगतान पर 2012-13 में 4.04 लाख करोड़, 2013-14 में 4.85 लाख करोड़ और 2014-15 में 5.56 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए।

Post a Comment

1 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
  1. यह कैसे बढ रहा है जो इतना हो गया है क्या सरकार इसपर बिचार नही करती है

    ReplyDelete

यह बेवसाइट आपकी सुविधा के लिये बनाई गयी है, हम इसके बारे में आपसे उचित राय की अपेक्षा रखते हैं, कृप्या अपनी राय हमें Comments या Messages के माध्यम से जरूर दें।
धन्यवाद ।।

Top Post Ad

Below Post Ad